नारी शिक्षा का महत्त्व
शिक्षा का मानव जीवन से अटूट सम्बन्ध है। इसके अभाव में मानव जीवन की कहानी ही अधूरी है। आधुनिक युग में नारी की शिक्षा उतनी ही अपेक्षित है जिनती की पुरुष की शिक्षित नारी ही प्रगति की मंजिल पर चरण बढ़ा सकती है।
आज के व्यस्त एवं संघर्षशील युग में नारी शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। शिक्षित नारी अपनी सन्तानों को सुसंस्कारों से सम्पन्न कर सकती है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में समुचित योगदान करने में सहायक हो सकती है। घर-गृहस्थी के आय-व्यय को भली प्रकार सन्तुलित करके आर्थिक बोझ को बहुत सीमा तक सन्तुलित कर सकती है। शिक्षित नारी विपत्ति के बादल मँडराने पर नौकरी करके परिवार को संकट से उबार सकती है।
बच्चों के लिए घर ही नागरिक बनने की प्रथम पाठशाला होता है। माता ही इस पाठशाला की शिक्षिका होती है। लोरी, पहेली तथा गाना गुनगुनाते हुए माँ बच्चे को शिक्षा प्रदान करती है। उसका प्रभाव अमिट तथा स्थायी होता है।
वर्तमान में देखें तो नारी के लिए हर प्रकार की शिक्षा अपेक्षित है। नारी के लिए सबसे प्रथम गृह विज्ञान की शिक्षा देना परमावश्यक है। नारी का कार्य-क्षेत्र घर होता है। उसे परिवार के कार्यों को सम्पन्न करने के साथ ही बच्चों को भी देखना तथा सँभालना पड़ता है। गृह विज्ञान की शिक्षा इस दिशा में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी।
आज नारी घर की सीमा से बाहर निकल कर पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर जीवन संग्राम में आगे कदम बढ़ा रही है। वह सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी पुरुष के साथ सक्रिय भाग ले रही है। शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा तथा सांस्कृतिक क्रिया-कलापों में भी उसके चरण निरन्तर गतिमान हैं। जीवन का ऐसा कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है जिसमें आधुनिक शिक्षित नारी सहभागिनी न हो।
Reena Choudhary
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